बादशाह अकबर को एक दिन पान खाने की इच्छा हुई। उन्होंने अपने खास पान वाले से पान लगाने के लिए कहा। उसने पान बनाकर बादशाह को दे दिया। बादशाह ने पान खाया और कुछ नहीं कहा, लेकिन अगले दिन उस पान वाले को आधा किलो चूना दरबार में लाने का आदेश दिया। पान वाला यह सुनकर हैरान था और नहीं समझ पा रहा था कि ऐसा क्यों कहा गया।
उसने बाज़ार जाकर दुकानदार से आधा किलो चूना मांगा। दुकानदार ने पूछा कि वह इतना चूना क्यों खरीद रहा है। पान वाले ने बताया कि उसने बादशाह को पान दिया था और फिर उसे चूना लाने को कहा गया। दुकानदार ने तुरंत अंदाजा लगाया कि कुछ गड़बड़ है और पान वाले को सलाह दी कि दरबार में जाने से पहले खूब सारा घी पी ले। उसने वैसा ही किया और दरबार में जाने से पहले जमकर घी पी लिया।
दरबार में पहुंचने पर बादशाह ने उसे सारा चूना खाने का आदेश दिया। पान वाला परेशान हो गया, लेकिन तैयार था, इसलिए उसने चूना खा लिया और उसे कुछ नहीं हुआ। बादशाह ने कारण पूछा तो पान वाले ने दुकानदार के साथ हुई बातचीत बता दी। यह सुनकर बादशाह दुकानदार से मिलने को उत्सुक हो गए।
अगले दिन दुकानदार को दरबार में बुलाया गया। बादशाह ने उससे पूछा कि वह उनके मन की बात कैसे समझ गया। दुकानदार ने बताया कि जब पान वाला चूना खरीदने आया तो उसने पूछा कि वह इतने चूने का क्या करेगा। पान वाले ने बताया कि उसने बादशाह को पान खिलाया और फिर चूना लाने का आदेश मिला। दुकानदार ने अंदाजा लगाया कि शायद पान में चूना ज्यादा हो गया था, जिससे बादशाह के मुंह में छाले हो गए होंगे और इसी का एहसास कराने के लिए चूना मंगवाया गया था। दुकानदार ने पान वाले को सलाह दी कि दरबार में जाने से पहले घी पी ले, ताकि चूना खाने पर असर कम हो सके। दुकानदार और कोई नहीं, बल्कि बीरबल ही थे।